9391313614

चंचल डिक्सेना ने  भारत माता  का मान बढ़ाया है, जानिए कौन है चंचल  डिक्सेना

wwwcg24times.com April 09, 2023

       चंचल डिक्सेना ने  भारत माता  का मान बढ़ाया है, जानिए कौन है चंचल  डिक्सेना

  www.cg24times.com(ई पेपर) संपादक- राजू सिंह /टी.बी.सिंह(बी.जे.एम.सी.)  -

भारत देश, छ.ग.राज्य, बिलासपुर संभाग,  कोरबा जिले के,  ग्राम पंचायत सीस, की  चंचल  डिक्सेना ने यूँ तो इतिहास रच दिया है यह उपलब्धि हासिल करने वाली  चंचल डिक्सेना  अपने ग्राम पंचायत सीस ही नही  बल्कि पुरे देश के लिए  प्रेरणा की श्रोत बन गई है कि गांव  बालिकाओं को अवसर मिले  तो शहर की बालिकाओं को मात दे कर आगे बढ़ सकती है | मात्र गांव ही नही पुरे देश का नाम विदेश में भी रोशन कर सकती है |

 विदित हो आजादी के सत्तर साल बाद पहली बार सीस जैसे गांव की बालिका ने विदेश में पदक जीत कर देश का मान बढाया है | इस उपलब्धि को प्राप्त करने में चंचल ने बहुत  कुर्बानियां देने के साथ बहुत मेहनत भी किया है  |

जब हमारे पत्रकार ने इनकी सच्चाई को उजागर करने बिलासपुर से इनके दुरस्त  गांव गये तो पता चला की उनके गाँव में शहर की तरह मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग सेंटर नही है  , पुरे गांव में  यही एक मात्र लडकी है जो अकेले ही ट्रेनिंग के लिए  बस में सफर करके अपनी महिला  कोच मोनिका च्रक्रधारी के पास  50 किलोमीटर दुर  कोटा  जाती है  | मार्शल आर्ट्स खेल के लिए इस साल की 11 कक्षा की वार्षिक परीक्षा तक छोड़ दिया  जिसकी कल्पना तक कोई भी माता पिता  नहीं कर सकता की खेल के लिए उनके बच्चे वार्षिक परीक्षा तक छोड़ दे |

हम सब चाहते है कि हमारा देश भी ओलंपिक में पदक जीते पर एक खिलाडी तैयार करने के लिए जो सहयोग देना चाहिये वो नही देते है  | हम धर्म के नाम पर  दान भी देते है  लड़ाई भी करते है  पर देश के लिए खेलने वाले खिलाडी तैयार करने में कोई आर्थिक मदद नही करते है |आर्थिक अभाव के  कारण कई होनहार खिलाडी  मंजिल तक पहुचने के पहले ही दम तोड़ देते है |

धन्य है चंचल डिक्सेना के माता श्रीमती तामेस्वरी  एवं पिता शिव नंदन जी भाई यश और सीस के सरकारी स्कुल की प्राचार्य मैडम जिन्होंने वार्षिक  परीक्षा का  चिंता नही करके खेल में ध्यान देने कहा  परीक्षा बाद में आयोजित करने का आश्वाशन दिया  | चंचल की इस सफलता  के पीछे  इन सबका सहयोग भी अमूल्य है  |

मार्शल आर्ट्स सीखने कब कैसे चालू किया इस विषय में बताया कि  शासन की लक्ष्मीबाई योजना के तहत सरकारी स्कूलों में बालिकाओं को निशुल्क मार्शल आर्ट्स सिखाने उनके स्कुल में मोनिका चकधारी आई थी तो उनके सानिध्य में सिखाना शुरू किया तब स्कुल में 140 लडकियाँ सीख रही थी एक माह तक प्रशिक्षण  चला  फिर बंद हो गई पर चंचल ने सीखना नही छोड़ा बस में कोटा जाकर सीखती फिर एकलव्य की तरह घर में आकर  उसका अभ्यास करती  |

उनकी  लगन से प्रभावित हो कर उनकी कोच मोनिका ने बिलासपुर के महागुरु गणेश सागर से संपर्क किया कहा कि  कोई  ओपन अन्तराष्ट्रीय  मार्शल आर्ट्स की प्रतियोगिता  हो रहा हो तो एक मौका दीजिये | चुकी बिलासपुर मे  पूर्व में भी चंचल ने अपने खेल का जबरदस्त  प्रदर्शन कर चुकी थी  अत : नेपाल के पोखरा शहर में ओपन अन्तराष्ट्रीय  ताईक्क्वानडो की प्रतियोगिता  आयोजित हो रही थी उसके लिए चयन किया |चुकी यह ओपन प्रतियोगिता थी इसका खर्च स्वयं को वहन करना पड़ता है |नेपाल में अपने खेल का जौहर दिखाने लगभग चालीस हजार खर्च करके  चंचल ने देश  का मान बढ़ाया   | जो प्रतिभाशाली  अन्य गरीब बच्चों के लिए  मुश्किल ही नही  अपितु कठिन है ,खिलाडी ही पैसा देकर खेलने जायगा तो  राज्य खेल संघ ,खेल एवं युवक कल्याण विभाग  आदि  किस लिये बनाया गया है ? ज्ञात हो राज्य  खेल संघ  पैसे लेकर मात्र  पेसो वाले बच्चो को नेशनल भेजता है  गरीब बच्चों को  राज्य खेल संघ हमारे संघ का नही है कह कर चयन प्रतियोगिता में  ही भाग लेने से वंचित कर देता है   | जो की भारतीय संविधान समानता के मूल अधिकार का घोर उल्लंघन है तथा यही मूल कारण है गरीब बच्चे ओलम्पिक में पदक  विजेता बनने कि क्षमता होने के बाद भी चयन से वंचित हो जाते है, इस पर शासन को विचार करना चाहिए  | आने वाले दिनों में ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने योग्य बनाने  गरीब होनहार बच्चों के लिए  शासन राज्य के सभी खेल संघ को निर्देशित करे की सभी भारत वासी को चयन प्रतियोगिता में भाग लेने के अवसर निशुल्क प्रदान करे किसी प्रकार का कोई शुल्क  नही लेगा किसी भी खेल संघ ने किसी को भी चयन प्रतियोगिता में भाग  लेने से वंचित किया या पैसे एंट्री शुल्क या अन्य किसी भी तरह से  पैसा लिया तो उसे जेल भेजने का नियम बनाए तो  वह दिन दुर नही जब  ग्राम पंचायत सीस कि चंचल डिक्सेना की तरह अन्य बच्चे भी देश के लिए पदक जीत कर देश का नाम रोशन करेंगे  हमारा www.cg24times.com(

ई पेपर) उनकी सफलता की शुभ कामना करता है |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Share This